असंभव दृश्य संभव हुआ
नींद में, स्वप्न में, कविता में, कहानी में, चित्रकारी में
यह दृश्य संभव ही नहीं चरितार्थ भी हुआ कि
एक छोटा-सा घर नींद में लग रहा
जिस पर टिकी एक बड़ी सी इमारत ऊँघ रही
और लोग अफरा-तफरी में छोड़ गए घर
मकान के दरो-दीवार और रोशनदान से उठते उजाले को
इमारत ने लील लिया है
इस तरह एक बड़े हिस्से पर काबिज है इमारत
अब कृपया इस इमारत को परिभाषित न करें
यह मॉल, मकबरा, मंदिर, मस्जिद कुछ भी हो सकती है
लोग उससे नहीं उसके गिरने से भय खा रहे हैं
इसलिए वे अंधाधुंध भागे जा रहे हैं
गरज यह कि जो नहीं रहते उस घर में
उन्हें भी बचने को वही रास्ता तय करना होता
इस तरह एक ही मार्ग बचा है जो गंतव्य तक जाता है
इस एक ही सड़क को तय करने से
लोगों का हुजूम बढ़ रहा बेतरतीब
जिस पर भागते-भागते वे परस्पर टकरा
और गिर-पड़ रहे हैं
दूर से देखने पर यह नींद का खेल एक रोग लगता है
जहाँ लोग स्लीप-डिसऑर्डर के शिकार हैं।